हिंदी - हमारी आन-बान-शान
राष्ट्रभाषा किसी राष्ट्र के माथे का तिलक होता है। भाषा परस्पर विचार-विमर्श एवं मनोभावों तथा विचारो के आदान-प्रदान की सशक्त माध्यम है। भाषा अतीत तथा वर्तमान को भविष्य से जोड़ती है। भाषा ज्ञान-विज्ञानं की उन्नति तथा देश की सभ्यता और संस्कृति की सुरक्षा का आधार है।
भारत में अनेक भाषाओं का प्रयोग किया जाता है जिनमें हिंदी सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाषा है। इसी कारण से भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी है और हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा होने के साथ-साथ राजभाषा भी है। हिंदी भारत की ही नहीं पूरे विश्व में एक विशाल क्षेत्र जनसमूह की भाषा है, और विश्व की जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग हिंदी बोलता, समझता तथा लिखता है।
हिंदी भाषा और इसमें निहित भारत की सांस्कृतिक धरोहर इतनी सुदृढ़ एवं समृद्ध है कि इस ओर इसमें अधिक प्रयत्न न किये जाने पर भी इसके विकास की गति बहुत तेज है। ध्यान, योग और आयुर्वेद विषयो के साथ-साथ इनसे सम्बंधित हिंदी शब्दों का भी विश्व की दूसरी भाषाओ के साथ विलय हो रहा है।
भारतीय संगीत, हस्तकला, भोजन और वस्त्रो की मांग विदोशो में जैसी आज है पहले कभी नहीं थी। लगभग हर देश में योग, ध्यान, और आयुर्वेद के केंद्र खुल गए है, जिसने दुनिया भर के लोगो को भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित किया है। ऐसी संस्कृति जिसे पाने के लिए हिंदी के रास्ते से ही पंहुचा जा सकता है।
भारतीयों ने अपनी कड़ी मेहनत, प्रतिभा और कुशाग्र बुद्धि से आज विश्व के तमाम देशो की उन्नति में जो सहायता की है उससे प्रभावित होकर सभी यह समझ गए है की भारतीयों से अच्छे सम्बन्ध हिंदी सीखना कितना ज़रूरी है। उदाहरण के लिए करोड़ो हिंदी भाषी कंप्यूटर का प्रयोग अपनी भाषा में ही कर रही है।
लेकिन आज भारत में हिंदी के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है - हमारी गुलाम मानसिकता। हिंदी वार्तालाप को हम आज भी हम अज्ञानता और पिछड़ेपन का प्रतीक मानते है। जबकि हमे हिंदी में आने वाली बाधाओ को दूर करके उसे प्रोतसाहित करना चाहिए जैसा की हज़ारो प्रवासी भारतीय विदेशो में हिंदी के विकास में संलग्न है।
अभी हाल के कुछ वर्षो में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने 114 मिलियन डॉलर विशेष राशि अमेरिका में हिंदी, चीनी और अरबी भाषाए सिखाने के लिए स्वीकृत की है। इससे स्पष्ट होता है की हिंदी के महत्व को विश्व में कितनी गंभीरता से अनुभव किया जा रहा है।
हिंदी भाषा का वर्चस्व पूरी दुनिया में बढ़ रहा है और हमे भी हमारे देश में हिंदी को बढ़ावा देना चाहिए और उसे विश्व-मंच पर प्रस्तुत करना चाहिए।
`जय हिन्द, जय भारत`
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